प्रतिबंधात्मक फेफड़े की बीमारी फेफड़ों के विकारों की एक श्रेणी है जो फेफड़ों में हवा के अंदर और बाहर जाने को मुश्किल बना देती है। इससे सांस की तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वही फेफड़े के रोग, प्रकार, कारण और लक्षणों को जानकर हम होम्योपैथिक की मदद से इस तरह की समस्या से कैसे खुद का बचाव कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;
क्या है प्रतिबंधात्मक फेफड़े का रोग ?
- प्रतिबंधात्मक फेफड़े की बीमारी फेफड़ों के विकारों की एक श्रेणी है जो फेफड़ों में हवा के अंदर और बाहर जाने को मुश्किल बना देती है। इससे सांस की तकलीफ, सांस लेने में कठिनाई और अन्य श्वसन लक्षण हो सकते है।
- वही प्रतिबंधात्मक फेफड़ों की बीमारी का उपचार आम तौर पर लक्षणों से राहत और जीवन की गुणवत्ता में सुधार पर केंद्रित होता है।
प्रतिबंधात्मक में फेफड़े रोग के प्रकार क्या है ?
- ‘आंतरिक विकार’ में इसके दोष जैसे निशान, सूजन और फेफड़ों के ऊतकों का सख्त होना है। वही तपेदिक, निमोनिया, फेफड़े का कैंसर, अंतरालीय फेफड़े की बीमारी, फाइब्रोसिस और सूजन आंत्र रोग सभी इस आईबीडी (इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज) से हो सकते है।
- ‘बाहरी विकार’ की बात करें तो इसमें असामान्यताओं में न्यूरोलॉजिकल स्थितियां, कमजोर मांसपेशियां, तंत्रिका क्षति और छाती की दीवार के ऊतकों का सख्त होना शामिल है। मोटापा, दिल की विफलता, घातक ट्यूमर, पसली की चोट, डायाफ्राम पक्षाघात, और डायाफ्रामिक हर्निया सभी ऐसे रोग है, जो इसके परिणामस्वरूप हो सकते हैं।
यदि आपके फेफड़े में आंतरिक विकार की वजह से कैंसर का खतरा मंडरा रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट होम्योपैथिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।
प्रतिबंधात्मक फेफड़ो रोग के लक्षण क्या है ?
- खूनी खाँसी।
- छाती में दर्द।
- सांस लेने में तकलीफ।
- वजन का घटना।
- घरघराहट महसूस करना।
- डिप्रेशन का शिकार।
- चिंता करना।
- चक्कर आना।
- थकावट मेहसूस होना।
- लगातार खांसी की समस्या।
- शरीर का कमजोर होना आदि।
अगर आपके फेफड़ो में उपरोक्त लक्षण काफी गंभीर नज़र आ रहें है, तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में बेस्ट होम्योपैथिक क्लिनिक से संपर्क करना चाहिए।
प्रतिबंधात्मक फेफड़े रोग के कारण क्या है ?
- आंतरिक प्रतिबंधात्मक फेफड़े का रोग आपके फेफड़ों की आंतरिक संरचना और कार्य प्रणाली से जुड़ा होता है। यह कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि के कारण दाने, संयोजी ऊतक रोग, और दवाओं और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना अन्य कारण है, जो आंतरिक प्रतिबंधात्मक फेफड़ों के रोगों के विकास का कारण बनते है।
- एक्सट्रिंसिक रेस्ट्रिक्टिव लंग डिजीज छाती की दीवार, फुस्फुस, श्वसन मांसपेशियों और न्यूरोमस्कुलर विकारों से जुड़ा है। इन क्षेत्रों में शिथिलता फेफड़ों की रोकथाम और श्वसन विफलता का कारण बनती है।
प्रतिबंधात्मक फेफड़े रोग का होम्योपैथिक में क्या उपचार है ?
- फेफड़ो के सभी प्रकार के संक्रमण के लिए होम्योपैथिक दवा काफी प्रभावी मानी जाती है। क्युकि इस दवा के माध्यम से बीमारी का खात्मा भी किया जा सकता है और इसको लेने से सेहत पर कोई नुकसान भी नज़र नहीं आता।
- इसके अलावा फेफड़ों के सभी प्रकार के संक्रमणों के खिलाफ होम्योपैथिक उपचार बेहद प्रभावी माना जाता है। होम्योपैथी तीव्र ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस (ग्रंथियों का बुखार), ब्रोन्कोपमोनिया और सामान्य सर्दी का प्रभावी ढंग से इलाज करती है।
- बता दे आपको की फेफड़ों के संक्रमण के लिए ब्रायोनिया, काली बाइक्रोमिकम, एकोनाइट और बेलाडोना कुछ बेहतरीन दवाइयां है।
सुझाव :
- होम्योपैथिक में हर तरह के फेफड़ो की बीमारी का इलाज मिलना संभव है, तो आप भी अगर होम्योपैथिक तरीके से अपने संक्रमित फेफड़े का इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप डॉ. बिंद्रा होम्योपैथिक क्लिनिक का चयन करें।
निष्कर्ष :
- फेफड़ो के रोग के लिए किसी भी तरह का उपचार अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर जरूर लें।